दंगल या शतरंज :: म्हारी छोरिया छोरों से कम हैं के !
by निकलेश जैन - 26/12/2016
दंगल मतलब अपने कौशल का सही समय में प्रदर्शन ,आसान शब्दो में कहे तो खुद की ही तय की गयी सीमाओं से बाहर आने का पूरी ताकत से किया गया प्रयास , कुछ ऐसा ही संदेश देती है आमिर खान की खेल पृस्ठभूमि पर आधारित फिल्म "दंगल " भारत के लिए कुश्ती में पहला स्वर्ण पदक जीतने वाली गीता फोगाट के साथ एक खेल के प्रति जुनूनी पिता महावीर सिंह फ़ोगाट की असल जिंदगी की कहानी पर बनी यह फिल्म ना सिर्फ खेल में देश की स्थिति से हमें अवगत कराती है बल्कि सामाजिक ताने बाने और रूढ़ियों ,अंधविश्वास के बीच अपनी बेटियों के लिए खुद के साथ जमाने से लड़ते पर आगे बढ़ते देशभक्त की कहानी है मैंने भी सोचा क्यूँ ना इस फिल्म के माध्यम से बच्चो को देश के लिए मेडल लाना क्या होता है ये दिखाया जाए तो फिर क्या था हम पहुँच गए अपने शतरंज खिलाड़ी बच्चो के साथ दंगल देखने और आप से यही कहेंगे अपनी बच्चो के साथ खासतौर पर बेटियों के साथ यह फिल्म देखने जरूर जाए
ये है असली जिंदगी के वो नायक और नायिकाए जिन्होने अपनी कोशिश से लाखो लोगो को कुछ करने के लिए प्रेरित किया
भारत में खेल को आज भी उतना महत्व नहीं दिया जाता तो आज से 20 साल पहले की स्थिति का तो अंदाजा लगाना ही मुश्किल है ऐसे में कैसे कुश्ती जैसे खेल में अपनी बेटियों को आगे बढ़ाने के बारे में और देश को सोना दिलाने की जिद में पहलवान महावीर सिंह नें प्रयास किया और सफलता पाई इसी की कहानी है "दंगल "
ग्रांड मास्टर हरिका नें विश्व रैपिड और ब्लिट्ज़ स्पर्धा में जाने के पहले फिल्म देखी उन्होने सभी कोच के योगदान को बड़ा माना और इस फिल्म को हर किसी खिलाड़ी के लिए एक प्रेरक फिल्म माना । उम्मीद है वो भी भारत को ऐसे ही मेडल दिलाती रहेगी !
अब आप सोच रहे होंगे की क्या मैं यह लेख सिर्फ इसीलिए लिख रहा हूँ की फिल्म अच्छी है या फिर आमिर खान का कोई चैस से भी कोई लेना -देना है
जी हाँ आमिर शतरंज से खासा लगाव रखते है और अक्सर इस खेल को खेलते नजर आ जाते है (आनंद के साथ एमसीएल 2014 में)
आमिर खान शतरंज खिलाड़ी साहिल बत्रा से दंगल के सेट पर शतरंज खेलते हुए ,आखिर कैसे डांस और शतरंज का जुनून नें साहिल आमिर को मिलाया ?
आमिर की 'दंगल' पहलवान महावीर फोगट पर आधारित है, जिसमें आमिर ने महावीर का किरदार निभाया है. महावीर फोगट की चार बेटियां हैं जिनमें गीता सबसे बड़ी हैं. महावीर फोगट ने अपनी बेटियों को पहलवानी सिखाई और आज उनकी बेटियां गीता और बबीता अंतरराष्ट्रीय स्तर की कुश्ती चैम्पियन हैं. गीता और बबिता फोगट 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में महिला कुश्ती में भारत के लिए पदक जीत चुकी हैं.
आमिर खान नें फिल्म के जरिये लड़कियों को लेकर समाज की सोच से लेकर भारत में खेल के प्रशिक्षण के तौर तरीको पर भी एक सवाल उठाया है
उनके द्वारा कहे गए कुछ संवाद लंबे समय तक कानो में गूँजते रहेंगे । मैंने उन संवादो के साथ एक सांकेतिक झलक प्रस्तुत करने की कोशिश की है
"मेडलिस्ट पेड़ पर नहीं उगते, उन्हें बनाना पड़ता है प्यार से, लगन से मेहनत से...
2006 का कोनेरु हम्पी का यह फोटो भारत के लिए 15वे एशियन गेम्स दोहा में पहला स्वर्ण पदक था
"मैं हमेशा ये सोचके रोता रहा कि छोरा होता तो देश के लिए गोल्ड लाता. ये बात मेरे समझ में न आई कि गोल्ड तो गोल्ड होता है, छोरा लावे या छोरी."
हम्पी को शतरंज उनके पिता नें ही सिखाया और उन्होने अपने पिता और देश दोनों को गौरान्वित किया
वैसे ये गाना मेरे साथ साथ आपका भी फेवरेट बन जाएगा
अगर सिल्वर जीती तो आज नहीं तो कल तन्ने लोग भूल जावेंगे, गोल्ड जीती तो मिसाल बन जावेगी और मिसालें दी जाती हैं बेटा, भूली नहीं जाती.
भारत के लिए शतरंज में विश्व जूनियर के खिताब जहां हम्पी ,हारिका और सौम्या स्वामीनाथन नें जीते तो पदमिनी राऊत नें ओलम्पियाड का व्यक्तिगत स्वर्ण पदक और आज अगली पीढ़ी की नयी प्रतिभावान लड़कियों के लिए सारी एक मिसाल है !!
म्हारी छोरिया छोरों से कम हैं के
मैंने सोचा बच्चियो को ये फिल्म दिखाना तो बनता है तो हम भी पहुँच गए दंगल देखने ओमि जैन और वंशिका बाजपई के साथ
ओमि और वंशिका दोनों सायना इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ाई करती है और इसी महीने रूस से विश्व स्कूल शतरंज स्पर्धा में भाग लेकर लौटी है
इस फिल्म को देखकर दोनों बहुत खुश थी तो मैंने पूछा क्यूँ देश के लिए मेडल जीतना है तो दोनों का जबाब था एक आवाज में "हाँ " पर फिर उन्होने कुश्ती की मेहनत देख कर कहा "वैसे सर अपना चैस ही ज्यादा अच्छा है " मैं भी मुस्करा दिया और सोचा खेल तो खेल है कोई भी हो मेहनत शारीरिक हो या मानसिक सब बराबर है वक्त आने पर ये जज्बा सम्हाल पाये तो सफलता पक्की समझो !!
खैर आपको एक सुझाव है ये फिल्म अपने परिवार के साथ जरूर देखे !